भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"शनिवार की ओर / यानिस रित्सोस" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKRachna |रचनाकार=यानिस रित्सोस |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> एक गहरी आवाज़ सुनाई …) |
(कोई अंतर नहीं)
|
02:08, 16 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
एक गहरी आवाज़ सुनाई दी और भी गहरी रात में।
फिर टैंक गुज़रे। भोर हुई।
तब आवाज़ फिर से सुनाई दी, थोड़ी धीमी, कुछ और दूर।
दीवार सफ़ेद थी। रोटी लाल थी। सीढ़ी
लगभग लंबाकार पुरानी सड़कबत्ती से सटी हुई थी।
बूढी औरत काले पत्थरों को एक-एक कर
जमा करती जाती थी काग़ज़ के एक थैले में।
अंग्रेज़ी से अनुवाद : मंगलेश डबराल