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गुपतेसरा ने खोली है दुकान गाँव में
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काट रहा चाँदी वह बेईमान गाँव में।
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गाँजा है, भाँग है, अफीम, चरस दारू है
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ठेंगे पर देश और संविधान गाँव में।
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चाय पान बीड़ी सिगरेट तो बहाना है
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असली है चकलाघर बेज़ुबान गाँव में।
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बम चाकू बंदूकों पिस्तौलों का धंधा
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हथियारों की जैसे एक खान गाँव में।
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बिमली का पिट गिरा कमली का फूला है
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सोते हैं थाने के दो दीवान गाँव में।
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खिसकी है पाँव की ज़मीन अभी थोड़ी सी
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बाकी है गिरने को आसमान गाँव में।
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सूखा है पाला है बाढ़ है वसूली है
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किसको दे कंधे का हल किसान गाँव में।
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गुपतेसरा गुंडा है और पहुँच वाला है
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कैसे हो लोगों को इत्मीनान गाँव में।

23:37, 10 दिसम्बर 2006 का अवतरण

लेखक: कैलाश गौतम

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गुपतेसरा ने खोली है दुकान गाँव में

काट रहा चाँदी वह बेईमान गाँव में।

गाँजा है, भाँग है, अफीम, चरस दारू है

ठेंगे पर देश और संविधान गाँव में।


चाय पान बीड़ी सिगरेट तो बहाना है

असली है चकलाघर बेज़ुबान गाँव में।

बम चाकू बंदूकों पिस्तौलों का धंधा

हथियारों की जैसे एक खान गाँव में।


बिमली का पिट गिरा कमली का फूला है

सोते हैं थाने के दो दीवान गाँव में।

खिसकी है पाँव की ज़मीन अभी थोड़ी सी

बाकी है गिरने को आसमान गाँव में।


सूखा है पाला है बाढ़ है वसूली है

किसको दे कंधे का हल किसान गाँव में।

गुपतेसरा गुंडा है और पहुँच वाला है

कैसे हो लोगों को इत्मीनान गाँव में।