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मैं एक भाव
बीज रूप शाश्वत
तुम्हारे अर्पण।
तुम मेरी भाषा
भाव मुताबिक गुण
संवार - संभाल।
हमारा रचाव
जैसे मंत्र
जैसे छंद
जीता-जागता काव्य।
मूल राजस्थानी से अनुवाद : स्वयं कवि द्वारा