भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अबके रविवार / मदन गोपाल लढा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मदन गोपाल लढा }} {{KKCatKavita}} <poem> सोम से शनि तक सिटी बस के …)
 
(कोई अंतर नहीं)

13:41, 17 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

सोम से शनि तक
सिटी बस के पीछे भागते
सेंसेक्स के उतार-चढ़ाव की
गणित के साथ सर खपाते
क्म्प्यूटर के की-पेड से
उलझते
तंग आ गया हूँ मैं
बुरी तरह,

अबके रविवार
मैं देखना चाहता हूं
पुराने एलबम के फोटोग्राफ़
बाँचना चाहता हूँ
कॉलेज जीवन की डायरी
और तिप्पड़ खाट लगाकर
चांदनी रात में
सुनना चाहता हूं रेडियो।


मूल राजस्थानी से अनुवाद : स्वयं कवि द्वारा