भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अनुरोध / सियारामशरण गुप्त" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सियारामशरण गुप्त |संग्रह= }} {{KKCatKavita}}<poem>जब इस तिमि…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:31, 17 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
जब इस तिमिरावृत मंदिर में
उषालोक पर उठे वेश,
तब तुम हे हृदयेश!
इस दीपक की जीवन ज्वाला
कर देना तुरंत नि:शेष;
यही प्रार्थना है सविशेष।
जब यह कार्य्य प्रपूर्ण कर चुके
देह होमने के उपरांत;
स्वयं प्रकाशित हो यह प्रांत;
पूर्ण प्रभा में कर निमग्न तब
कर देना प्रदीप यह शांत;
देर न करना जीवन-कांत?