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"आज की शब तो किसी तौर गुज़र जायेगी / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

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मेरे माथे पे तेरा प्यार दमकता है अभी
 
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मेरी साँसों में तिरा लम्स महकता है अभी
 
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मेरे सीने में तेरा धड़कता है अभी
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मेरे सीने में तेरा नाम धड़कता है अभी
 
ज़ीस्त करने को मेरे पास बहुत कुछ है अभी
 
ज़ीस्त करने को मेरे पास बहुत कुछ है अभी
  

20:55, 18 नवम्बर 2009 का अवतरण

आज की शब तो किसी तौर गुज़र जाएगी

रात गहरी है मगर चाँद चमकता है अभी
मेरे माथे पे तेरा प्यार दमकता है अभी
मेरी साँसों में तिरा लम्स महकता है अभी
मेरे सीने में तेरा नाम धड़कता है अभी
ज़ीस्त करने को मेरे पास बहुत कुछ है अभी

तेरी आवाज़ का जादू है अभी मेरे लिए
तेरे मलबूस की ख़ुशबू है अभी मेरे लिए
तेरी बाँहें तेरा पहलू है अभी मेरे लिए
सबसे बढ़कर मिरी जाँ तू है अभी मेरे लिए
ज़ीस्त करने को मेरे पास बहुत कुछ है अभी
आज की शब तो किसी तौर गुज़र जाएगी