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"स्त्री-2 / जया जादवानी" के अवतरणों में अंतर

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02:05, 19 नवम्बर 2009 का अवतरण

लेकर अंजुरी में पानी
ख़ुद को देखो तो दिखता है
उसका चेहरा
यूँ मैं अपनी अंजुरी छोड़ती हूँ
वापस नदी में
ख़ुद को ढूंढ़ती हूँ
बहकर बहुत दूर नहीं गई हूंगी
अभी घड़ी भर पहले ज़रा सा
घूँट पिया
अपना मुँह धोया था...।