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02:37, 19 नवम्बर 2009 का अवतरण

तरस रहा है मन फूलों की नयी गन्ध पाने को
खिली धूप में, खुली हवा में, गाने-मुसकाने को
तुम अपने जिस तिमिरपाश में मुझको क़ैद किए हो
वह बन्धन ही उकसाता है बाहर आ जाने को


शब्दार्थ :
तिमिरपाश = अंधेरे का बंधन