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"कहने को थी / जया जादवानी" के अवतरणों में अंतर

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03:02, 19 नवम्बर 2009 का अवतरण

पहले रुकी, झिझकी, लड़खड़ाई
फिर ऐसी चली कि
ज़िन्दगी देखती ही रह गई
कहने को थी वह सिर्फ़ कविता
पर ऐसी कि कायनात
उसके क़दमों में ढह गई।