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"सुनो-2 / अशोक वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर

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अब भी ठहरा हुआ है
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उत्सव-स्पर्श वह
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सुनो अगर शस्य की
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प्रतीक्षा विफल थी
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तो क्या-
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03:33, 23 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

सुनो अगर उदय की प्रतीक्षा विफल थी
तो क्या
तुम फिर हाथ दे सकती हो
बाँह दे सकती हो
सुनो अब भी सूखी टहनियों पर
चमकता है वह हलका आलोक-जल
अब भी ठहरा हुआ है
उत्सव-स्पर्श वह
सुनो अगर शस्य की
प्रतीक्षा विफल थी
तो क्या-


रचनाकाल : 1959