भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दृश्ययुग-1 / केदारनाथ सिंह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ सिंह |संग्रह=उत्तर कबीर और अन्य कविता…)
 
छो ("दृश्ययुग-1 / केदारनाथ सिंह" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
 
(कोई अंतर नहीं)

02:00, 26 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

मन हुआ चुप रहूँ
फिर कुछ मिनट बाद
चुप्पी खलने लगी
फिर किसी ने मेरे अन्दर
जैसे गाने की ज़िद की
यह कोई अन्य था
जिसे मैं जानता नहीं था
पर छू सकता था
फिर यह सच कि छूना
हाथ का अपना एकाधिकार है
जीभ के प्रतिवाद से
निरस्त हो गया

फिर एक विवाद शुरू हुआ
समूचे शहर में
स्वाद और ध्वनि
और दृश्य और स्पर्श के बीच
और इस पूरी युद्ध-भूमि में
स्पर्श का भयानक अकेलापन मैंने देखा
और जब देखा न गया
तो एक कवच की तरह
उसी को पहनकर
चला गया दफ़्तर।