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"पुण्य-ज्योति / रामकुमार वर्मा" के अवतरणों में अंतर

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यह भक्तों के पवित्र मानस में
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बसी हुई पूण्य-ज्योति के समान है।
 
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14:32, 8 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

नीलाकाश के शरीर से
साँस सी निकलकर
यह चंद्र-कला मेरी पृथ्वी में
जीवन डाल रही है।
हिम से धवल गिरि श्रृंगों पर
यह भक्तों के पवित्र मानस में
बसी हुई पूण्य-ज्योति के समान है।