भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अयोध्या-7 / सुधीर सक्सेना" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुधीर सक्सेना |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> अयोध्या में …) |
(कोई अंतर नहीं)
|
13:51, 12 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
अयोध्या में हवा बहती है
हवा बहती है अयोध्या में अबाध
अयोध्या मेम हवा कि अलगनियोम पर
लटके हैं बेसन के ढेर सारे लड्डू
हवा की लहरों पे झरता है बेसन का चूर
अयोध्या में बारहों मास
अयोध्या में पहुँचिए तो सही
अयोध्या में फैलती है चतुर्दिक
देसी घी पगे बेसन की गन्ध ।