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रचनाकाल : 1993, जौनपुर
 
रचनाकाल : 1993, जौनपुर
  
'''शलभ श्रीराम सिंह की यह रचना उनकी निजी डायरी से कविता कोश को चित्रकार और हिन्दी के कवि कुँअर रविन्द्र के सहयोग से प्राप्त हुई। शलभ जी मृत्यु से पहले अपनी डायरियाँ और रचनाएँ उन्हें सौंप गए थे।'''
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'''शलभ श्रीराम सिंह की यह रचना उनकी निजी डायरी से कविता कोश को चित्रकार और हिन्दी के कवि [[कुँअर रवीन्द्र]] के सहयोग से प्राप्त हुई। शलभ जी मृत्यु से पहले अपनी डायरियाँ और रचनाएँ उन्हें सौंप गए थे।'''
 
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02:30, 18 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

अपने ही हाथों
मारा जाता है योद्धा

अपनी ही क़टार
पिस्तौल या बन्दूक से
करनी होती है उसको आत्महत्या

मृत्यु
इसी रूप में आती है उसके पास
बिना बोले
बताए बिना चुपचाप धीरे-धीरे


रचनाकाल : 1993, जौनपुर

शलभ श्रीराम सिंह की यह रचना उनकी निजी डायरी से कविता कोश को चित्रकार और हिन्दी के कवि कुँअर रवीन्द्र के सहयोग से प्राप्त हुई। शलभ जी मृत्यु से पहले अपनी डायरियाँ और रचनाएँ उन्हें सौंप गए थे।