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"मृगनैनी की पीठ पै बेनी लसै / गँग" के अवतरणों में अंतर
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कवि 'गंग’ जू या उपमा जो कियो, लखि सूरति या स्रुति गोइ रही। | कवि 'गंग’ जू या उपमा जो कियो, लखि सूरति या स्रुति गोइ रही। | ||
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14:38, 24 दिसम्बर 2009 का अवतरण
मृगनैनी की पीठ पै बेनी लसै, सुख साज सनेह समोइ रही।
सुचि चीकनी चारु चुभी चित में, भरि भौन भरी खुसबोई रही॥
कवि 'गंग’ जू या उपमा जो कियो, लखि सूरति या स्रुति गोइ रही।
मनो कंचन के कदली दल पै, अति साँवरी साँपिन सोइ रही॥