भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हरसिंगार / रंजना भाटिया" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना भाटिया |संग्रह= }} Category:कविता <poem> लरजते अमल...) |
छो (हरसिंगार /रंजना भाटिया का नाम बदलकर हरसिंगार / रंजना भाटिया कर दिया गया है) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:43, 24 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
लरजते अमलतास ने
खिलते हरसिंगार से
ना जाने क्या कह दिया
बिखर गया है ज़मीन पर
उसका एक-एक फूल
जैसे किसी गोरी का
मुखड़ा सफ़ेद हो के
गुलाबी-सा हो गया !!