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"ऐसा समय / मंगलेश डबराल" के अवतरणों में अंतर
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छो (ऎसा समय/ मंगलेश डबराल का नाम बदलकर ऐसा समय / मंगलेश डबराल कर दिया गया है) |
(कोई अंतर नहीं)
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14:36, 27 दिसम्बर 2009 का अवतरण
जिन्हें दिखता नहीं
उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझता
जो लंगड़े हैं वे कहीं नहीं पहुँच पाते
जो बहरे हैं वे जीवन की आहट नहीं सुन पाते
बेघर कोई घर नहीं बनाते
जो पागल हैं वे जान नहीं पाते
कि उन्हें क्या चाहिए
यह ऎसा समय है
जब कोई हो जा सकता है अंधा लंगड़ा
बहरा बेघर पागल ।
(1992)