भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"शिक्षिका / आरागों" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो (शिक्षिका/ आरागों का नाम बदलकर शिक्षिका / आरागों कर दिया गया है)
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=लुई आरागों
 
|रचनाकार=लुई आरागों
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita}}
 
+
 
<poem>
 
<poem>
हम खोजते हैं व्यर्थ ही स्मृतियाँ स्कूली बच्चों के नंगे चेहरों की। वह तो गुजर गए हैं सराय के केलेंडरों की तरह जहाँ घास काटने के यंत्रों की शाश्वत मुद्रा है और जो उसकी पेटी में लगी दरातियों के लहराने से भी ज़्यादा अबूझ हैं। हम स्वतः सीखते हैं पेंसिल-डिबिया का काला बीज गणित, सतत शैतानी से देखते हैं लड़कियों की गुलाबी जंघाएँ और बेंचों या औरत के चश्मे से भी कोमल बच्चों के झबरे बाल। मैं जौ पीटने वाली मशीन की बात करना चाहता हूँ, जो चलती है उनके हाथों पर खामोश और सोच में डूबी हुई घड़ी का अनुसरण करते हुए और बिखेरती है सिरों पर चूके हुए कामचोरी के सुनहरे क्षण दण्ड के विशाल पहिए के करिश्मे से।
+
हम खोजते हैं व्यर्थ ही स्मृतियाँ स्कूली बच्चों के नंगे चेहरों की।  
 
+
वह तो गुजर गए हैं सराय के केलेंडरों की तरह जहाँ घास काटने के यंत्रों की शाश्वत मुद्रा है  
 
+
और जो उसकी पेटी में लगी दरातियों के लहराने से भी ज़्यादा अबूझ हैं।  
 +
हम स्वतः सीखते हैं पेंसिल-डिबिया का काला बीज गणित,  
 +
सतत शैतानी से देखते हैं लड़कियों की गुलाबी जंघाएँ  
 +
और बेंचों या औरत के चश्मे से भी कोमल बच्चों के झबरे बाल।
 +
मैं जौ पीटने वाली मशीन की बात करना चाहता हूँ,  
 +
जो चलती है उनके हाथों पर खामोश और सोच में डूबी हुई घड़ी का अनुसरण करते हुए  
 +
और बिखेरती है सिरों पर चूके हुए कामचोरी के सुनहरे क्षण दण्ड के विशाल पहिए के करिश्मे से।
  
 
- काफ़े ला सूर्स, बूलवार सें-ज़ेरमें
 
- काफ़े ला सूर्स, बूलवार सें-ज़ेरमें
  
 
लेक्रित्युर ओतोमातीक से (जुलाई 1919) से
 
लेक्रित्युर ओतोमातीक से (जुलाई 1919) से
</poem>
 
  
 
'''मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी
 
'''मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी
 +
</poem>

16:43, 27 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

हम खोजते हैं व्यर्थ ही स्मृतियाँ स्कूली बच्चों के नंगे चेहरों की।
वह तो गुजर गए हैं सराय के केलेंडरों की तरह जहाँ घास काटने के यंत्रों की शाश्वत मुद्रा है
और जो उसकी पेटी में लगी दरातियों के लहराने से भी ज़्यादा अबूझ हैं।
हम स्वतः सीखते हैं पेंसिल-डिबिया का काला बीज गणित,
सतत शैतानी से देखते हैं लड़कियों की गुलाबी जंघाएँ
और बेंचों या औरत के चश्मे से भी कोमल बच्चों के झबरे बाल।
मैं जौ पीटने वाली मशीन की बात करना चाहता हूँ,
जो चलती है उनके हाथों पर खामोश और सोच में डूबी हुई घड़ी का अनुसरण करते हुए
और बिखेरती है सिरों पर चूके हुए कामचोरी के सुनहरे क्षण दण्ड के विशाल पहिए के करिश्मे से।

- काफ़े ला सूर्स, बूलवार सें-ज़ेरमें

लेक्रित्युर ओतोमातीक से (जुलाई 1919) से

मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी