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"घास / नरेश सक्सेना" के अवतरणों में अंतर
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बस्ती वीरानों पर यकसाँ फैल रही है घास | बस्ती वीरानों पर यकसाँ फैल रही है घास | ||
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उससे पूछा क्यों उदास हो, कुछ तो होगा खास | उससे पूछा क्यों उदास हो, कुछ तो होगा खास | ||
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कहाँ गए सब घोड़े, अचरज में डूबी है घास | कहाँ गए सब घोड़े, अचरज में डूबी है घास | ||
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घास ने खाए घोड़े या घोड़ों ने खाई घास | घास ने खाए घोड़े या घोड़ों ने खाई घास | ||
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सारी दुनिया को था जिनके कब्ज़े का अहसास | सारी दुनिया को था जिनके कब्ज़े का अहसास | ||
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उनके पते ठिकानों तक पर फैल चुकी है घास | उनके पते ठिकानों तक पर फैल चुकी है घास | ||
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धरती पानी की जाई सूरज की खासमखास | धरती पानी की जाई सूरज की खासमखास | ||
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फिर भी क़दमों तले बिछी कुछ कहती है यह घास | फिर भी क़दमों तले बिछी कुछ कहती है यह घास | ||
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धरती भर भूगोल घास का तिनके भर इतिहास | धरती भर भूगोल घास का तिनके भर इतिहास | ||
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घास से पहले, घास यहाँ थी, बाद में होगी घास । | घास से पहले, घास यहाँ थी, बाद में होगी घास । | ||
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13:23, 29 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
बस्ती वीरानों पर यकसाँ फैल रही है घास
उससे पूछा क्यों उदास हो, कुछ तो होगा खास
कहाँ गए सब घोड़े, अचरज में डूबी है घास
घास ने खाए घोड़े या घोड़ों ने खाई घास
सारी दुनिया को था जिनके कब्ज़े का अहसास
उनके पते ठिकानों तक पर फैल चुकी है घास
धरती पानी की जाई सूरज की खासमखास
फिर भी क़दमों तले बिछी कुछ कहती है यह घास
धरती भर भूगोल घास का तिनके भर इतिहास
घास से पहले, घास यहाँ थी, बाद में होगी घास ।