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"प्रार्थना / संतरण / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर
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− | पराजय का अँधेरा दो | + | <poem> |
− | निराशा का सघन-गहरा अँधेरा दो | + | अँधेरा दो |
− | पर, विजय की आस मत छीनो | + | पराजय का अँधेरा दो |
− | सुबह की साँस मत छीनो, | + | निराशा का सघन-गहरा अँधेरा दो |
− | नये संसार के | + | पर, विजय की आस मत छीनो |
− | सुख-साध्य सपनों के सहारे | + | सुबह की साँस मत छीनो, |
− | करुण जीवन बिता लेंगे ! | + | नये संसार के |
− | अभावों से भरा जीवन बिता लेंगे ! | + | सुख-साध्य सपनों के सहारे |
+ | करुण जीवन बिता लेंगे! | ||
+ | अभावों से भरा जीवन बिता लेंगे! | ||
− | वंचना दो | + | वंचना दो |
− | प्रीत के हर प्रिय चरण पर वंचना दो | + | प्रीत के हर प्रिय चरण पर वंचना दो |
− | मृग-तृषा-सी वंचना दो | + | मृग-तृषा-सी वंचना दो |
− | पर, अधर के गीत मत छीनो | + | पर, अधर के गीत मत छीनो |
− | राग का संगीत मत छीनो, | + | राग का संगीत मत छीनो, |
− | सुधा-धर कंठ से | + | सुधा-धर कंठ से |
− | उर भावना-विश्वास धरती पर | + | उर भावना-विश्वास धरती पर |
− | कल्पनाओं के सहारे | + | कल्पनाओं के सहारे |
− | विरस यौवन बिता लेंगे, | + | विरस यौवन बिता लेंगे, |
− | हर सजल सावन बिता लेंगे ! | + | हर सजल सावन बिता लेंगे! |
− | अकेला अनमना यौवन बिता लेंगे !< | + | अकेला अनमना यौवन बिता लेंगे! |
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14:53, 30 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
अँधेरा दो
पराजय का अँधेरा दो
निराशा का सघन-गहरा अँधेरा दो
पर, विजय की आस मत छीनो
सुबह की साँस मत छीनो,
नये संसार के
सुख-साध्य सपनों के सहारे
करुण जीवन बिता लेंगे!
अभावों से भरा जीवन बिता लेंगे!
वंचना दो
प्रीत के हर प्रिय चरण पर वंचना दो
मृग-तृषा-सी वंचना दो
पर, अधर के गीत मत छीनो
राग का संगीत मत छीनो,
सुधा-धर कंठ से
उर भावना-विश्वास धरती पर
कल्पनाओं के सहारे
विरस यौवन बिता लेंगे,
हर सजल सावन बिता लेंगे!
अकेला अनमना यौवन बिता लेंगे!