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"अवधूत / राग-संवेदन / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर
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− | मरना और जीना | + | जिसने जी लिया संन्यास |
− | एक है उसके लिए! | + | मरना और जीना |
− | विष हो या अमृत | + | एक है उसके लिए! |
− | पीना | + | विष हो या अमृत |
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+ | एक है उसके लिए! | ||
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15:16, 1 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
लोग हैं _
ऐसी हताशा में
व्यग्र हो
कर बैठते हैं
आत्म-हत्या!
या
खो बैठते हैं संतुलन
तन का / मन का!
व हो विक्षिप्त
रोते हैं - अकारण!
हँसते हैं - अकारण!
किन्तु तुम हो
स्थिर / स्व-सीमित / मौन / जीवित / संतुलित
अभी तक!
वस्तुत:
जिसने जी लिया संन्यास
मरना और जीना
एक है उसके लिए!
विष हो या अमृत
पीना
एक है उसके लिए!