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"आह्वान / जूझते हुए / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर
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15:43, 1 जनवरी 2010 का अवतरण
रहो मत मूक,
की नहीं तुमने
कहीं,
कोई चूक।
- बोलो बात —
- बेलाग
- खरी
- दो-टूक।
- बोलो बात —
सत्य को
तुमने सदा
सत्य कहकर ही
- पुकारा।
- पुकारा।
इसमें —
है नहीं अपराध
कोई भी
तुम्हारा।
किन्तु
जिसने सत्य को
हठधर्मिता से
झूठ ठहराया,
वास्तविकता की
उपेक्षा की,
वंचना का धर्म
- अपनाया —
- अपनाया —
उस धूर्त के सम्मुख
मत रहो खामोश !
अभिव्यक्त कर आक्रोश
गरजो,
पुरज़ोर गरजो !
- अनीति-विरुद्ध
- प्रज्ञा-प्रबुद्ध !
- अनीति-विरुद्ध