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"नाश देवता / गजानन माधव मुक्तिबोध" के अवतरणों में अंतर

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घोर धनुर्धर, बाण तुम्हारा सब प्राणों को पार करेगा,
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तेरी प्रत्यंचा का कंपन सूनेपन का भार हरेगा<br>
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रुष्ट दृगों की चमक बनेगी आत्म-ज्योति की किरण सचेतन
  
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तभी सृजन की बीज-वृद्धि हित जड़ावरण की महि फटेगी
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शत-शत बाणों से घायल हो बढ़ा चलेगा जीवन-अंकुर
रुष्ट दृगों की चमक बनेगी आत्म-ज्योति की किरण सचेतन <br><br>
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दंशन की चेतन किरणों के द्वारा काली अमा हटेगी
  
सभी उरों के अंधकार में एक तड़ित वेदना उठेगी,<br>
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हे रहस्यमय, ध्वंस-महाप्रभु, जो जीवन के तेज सनातन,
तभी सृजन की बीज-वृद्धि हित जड़ावरण की महि फटेगी<br>
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तेरे अग्निकणों से जीवन, तीक्ष्ण बाण से नूतन सृजन
शत-शत बाणों से घायल हो बढ़ा चलेगा जीवन-अंकुर<br>
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हम घुटने पर, नाश-देवता ! बैठ तुझे करते हैं वंदन
दंशन की चेतन किरणों के द्वारा काली अमा हटेगी ।<br><br>
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मेरे सर पर एक पैर रख नाप तीन जग तू असीम बन ।
 
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हम घुटने पर, नाश-देवता ! बैठ तुझे करते हैं वंदन<br>
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मेरे सर पर एक पैर रख नाप तीन जग तू असीम बन ।<br><br>
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22:46, 2 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

घोर धनुर्धर, बाण तुम्हारा सब प्राणों को पार करेगा,
तेरी प्रत्यंचा का कंपन सूनेपन का भार हरेगा
हिमवत, जड़, निःस्पंद हृदय के अंधकार में जीवन-भय है
तेरे तीक्ष्ण बाणों की नोकों पर जीवन-संचार करेगा ।

तेरे क्रुद्ध वचन बाणों की गति से अंतर में उतरेंगे,
तेरे क्षुब्ध हृदय के शोले उर की पीड़ा में ठहरेंगे
कोपुत तेरा अधर-संस्फुरण उर में होगा जीवन-वेदन
रुष्ट दृगों की चमक बनेगी आत्म-ज्योति की किरण सचेतन ।

सभी उरों के अंधकार में एक तड़ित वेदना उठेगी,
तभी सृजन की बीज-वृद्धि हित जड़ावरण की महि फटेगी
शत-शत बाणों से घायल हो बढ़ा चलेगा जीवन-अंकुर
दंशन की चेतन किरणों के द्वारा काली अमा हटेगी ।

हे रहस्यमय, ध्वंस-महाप्रभु, जो जीवन के तेज सनातन,
तेरे अग्निकणों से जीवन, तीक्ष्ण बाण से नूतन सृजन
हम घुटने पर, नाश-देवता ! बैठ तुझे करते हैं वंदन
मेरे सर पर एक पैर रख नाप तीन जग तू असीम बन ।