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"वज़ह-बेवज़ह / बसंत त्रिपाठी" के अवतरणों में अंतर
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21:53, 4 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
क्या हुआ
गर लोग घूम रहे सड़कों पर बेवज़ह
चौराहे पर खड़े गप्प हाँकते
वज़ह की मारी शफ़्फ़ाक दुनिया में
कुछ तो बेवज़ह हो
शुक्रिया, खाली लोगो!