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शहादतों के लम्बे इतिहास की तारीख़ें
अक्सर वहाँ गुम हो जाती हैं
जहाँ से शुरू होती हैं
सुखों को पालतू बनाने की कवायदें
स्थगित होती जाती हैं
चेहरे पर गुस्से की लकीरें
फिर गुज़रता है
चुप्पी का एक अन्तहीन काफ़िला।