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ऐसे-ऐसे भी हैं इस महादेश में
जो अन्धे, लँगड़े या अपंग होने का
अभिनय न कर पाने की लाचारी से विगलित
जो गरीब-गुरबों से भी कुछ नीचे
जिनके पास नहीं है
किसी भी रंग का राशनकार्ड
जिनकी जात का कुछ कियाम नहीं
कोई धर्म जिन्हें झेलने को तैयार नहीं
जो रह गए हैं
जन होने की वरीयता से भी वंचित।