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"अब ज़ुबाँ मत खोल / अश्वघोष" के अवतरणों में अंतर
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04:52, 11 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
अब ज़ुबाँ मत खोल तेरी बानगी ले जाएगा
एक लम्हा फिर से तेरी हर खुशी ले जाएगा
वक़्त के इस हादसे को रोक ले वरना यही
हसरतों का आसमाँ, दिल की हँसी ले जाएगा
तू अन्धेरे को अगर बेजान ही कहता रहा
देख लेना एक दिन ये रोशनी ले जाएगा
जिस पे तुझ को है भरोसा हो न हो यूँ एक दिन
जेब में रख के वो तेरी हर कमी ले जाएगा
हो नहीं पाएगा मुमकिन लौटना ख़ुद में कभी
इक यहीं अहसास मेरी ज़िन्दगी ले जाएगा