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"प्रधानमंत्री के कमांडो / पवन करण" के अवतरणों में अंतर

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इस कदर बेमतलब रहना सिखाया जाता है उन्हें  
 
इस कदर बेमतलब रहना सिखाया जाता है उन्हें  
 
 
कि प्रधानमंत्री को हमेशा घेरे में लिये रहते  
 
कि प्रधानमंत्री को हमेशा घेरे में लिये रहते  
 
 
उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होता  
 
उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होता  
 
 
प्रधानमंत्री जनता से क्या कह रहे हैं  
 
प्रधानमंत्री जनता से क्या कह रहे हैं  
 
 
जिस वक्त प्रधानमंत्री बोले जा रहे होते हैं  
 
जिस वक्त प्रधानमंत्री बोले जा रहे होते हैं  
 
 
कमांडो अपनी बिल्लौट निगाहों से लगातार  
 
कमांडो अपनी बिल्लौट निगाहों से लगातार  
 
 
देख रहे होते हैं हमें इधर उधर  
 
देख रहे होते हैं हमें इधर उधर  
 
 
 
  
 
पेट से बाहर आने को व्यग्र वायु और  
 
पेट से बाहर आने को व्यग्र वायु और  
 
 
मुंह से बाहर छलांग मारने को बेताब हंसी  
 
मुंह से बाहर छलांग मारने को बेताब हंसी  
 
 
रोक पाना कितना कठिन होता है  
 
रोक पाना कितना कठिन होता है  
 
 
यह कोई पदोड़ और हंसोड़ से पूछे  
 
यह कोई पदोड़ और हंसोड़ से पूछे  
 
 
प्रधानमंत्री के सुनाये जिस चुटकुले पर जनता  
 
प्रधानमंत्री के सुनाये जिस चुटकुले पर जनता  
 
 
मुंह फाड़ कर हंस रही होती है  
 
मुंह फाड़ कर हंस रही होती है  
 
 
उसे सुन कर कमांडो के चेहरे पर हंसी तो क्या  
 
उसे सुन कर कमांडो के चेहरे पर हंसी तो क्या  
 
 
मुस्कान की हल्की सी लकीर भी नहीं उभरती  
 
मुस्कान की हल्की सी लकीर भी नहीं उभरती  
 
 
    
 
    
 
 
प्रधानमंत्री के पढ़े किसी शेर पर जब सब  
 
प्रधानमंत्री के पढ़े किसी शेर पर जब सब  
 
 
दे रहे होते हैं दाद उनके होंठ कसे हुए होते हैं  
 
दे रहे होते हैं दाद उनके होंठ कसे हुए होते हैं  
 
 
प्रधानमंत्री की किसी घोषणा पर तालियों की  
 
प्रधानमंत्री की किसी घोषणा पर तालियों की  
 
 
गड़गड़ाहट में शामिल होने  
 
गड़गड़ाहट में शामिल होने  
 
 
उनके हाथों की उंगलियां हिलती तक नहीं  
 
उनके हाथों की उंगलियां हिलती तक नहीं  
 
 
वे हमें इतने निरपेक्ष दिखाई देते हैं कि हमें लगता है  
 
वे हमें इतने निरपेक्ष दिखाई देते हैं कि हमें लगता है  
 
 
वे कभी प्रधानमंत्री के आगे अपने भतीजे की  
 
वे कभी प्रधानमंत्री के आगे अपने भतीजे की  
 
 
नौकरी की दरखास्त तक रखने की नहीं सोचते होंगे  
 
नौकरी की दरखास्त तक रखने की नहीं सोचते होंगे  
 
 
हम अपने प्रधानमंत्री को हमेशा उन्हीं से घिरे  
 
हम अपने प्रधानमंत्री को हमेशा उन्हीं से घिरे  
 
 
किसी परियोजना का शिलान्यास करते  
 
किसी परियोजना का शिलान्यास करते  
 
 
किसी सेमीनार में दीप प्रज्ज्वलित करते या फिर  
 
किसी सेमीनार में दीप प्रज्ज्वलित करते या फिर  
 
 
किसी पुल का उद्घाटन करते देखते हुए सोचते हैं  
 
किसी पुल का उद्घाटन करते देखते हुए सोचते हैं  
 
 
कमांडो के रहते हमारे प्रधानमंत्री की जान  
 
कमांडो के रहते हमारे प्रधानमंत्री की जान  
 
 
सुरक्षित है एकदम , कि प्रधानमंत्री को हरदम  
 
सुरक्षित है एकदम , कि प्रधानमंत्री को हरदम  
 
 
घेरे रहते वे कितने चुस्त दुरस्त ,  
 
घेरे रहते वे कितने चुस्त दुरस्त ,  
 
 
सजग , चौकस और आश्चर्यजनक फुर्तीले हैं  
 
सजग , चौकस और आश्चर्यजनक फुर्तीले हैं  
 
 
 
  
 
कमांडो से घिरे हमारे प्रधानमंत्री हमें देख कर  
 
कमांडो से घिरे हमारे प्रधानमंत्री हमें देख कर  
 
 
मुस्कराते हुए दूर से हाथ हिलाते हैं , हम भी  
 
मुस्कराते हुए दूर से हाथ हिलाते हैं , हम भी  
 
 
उन्हें अपनी तरफ हाथ हिलाते देख उनकी तरफ  
 
उन्हें अपनी तरफ हाथ हिलाते देख उनकी तरफ  
 
 
जोर जोर से हिलाते हैं अपने हाथ , मगर जैसे ही  
 
जोर जोर से हिलाते हैं अपने हाथ , मगर जैसे ही  
 
 
अपने प्रधानमंत्री से हम हाथ मिलाने की कोशिश करते हैं  
 
अपने प्रधानमंत्री से हम हाथ मिलाने की कोशिश करते हैं  
 
 
कमांडो हम पर पिस्टल तान लेते हैं  
 
कमांडो हम पर पिस्टल तान लेते हैं  
 
 
 
  
 
हरदम प्रधानमंत्री को घेरे रहने वाले ओर  
 
हरदम प्रधानमंत्री को घेरे रहने वाले ओर  
 
 
जरा सी बात पर हम पर गोली दाग देने के लिये तैयार  
 
जरा सी बात पर हम पर गोली दाग देने के लिये तैयार  
 
 
कमांडो से हमें डर लगता है , क्या हरदम  
 
कमांडो से हमें डर लगता है , क्या हरदम  
 
 
कमांडो से घिरे रहने वाले और हमारी तरह ही निहत्थे  
 
कमांडो से घिरे रहने वाले और हमारी तरह ही निहत्थे  
 
 
प्रधानमंत्री को कभी उनसे डर नहीं लगता ?  
 
प्रधानमंत्री को कभी उनसे डर नहीं लगता ?  
  
 
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हम दूरदराज बैठे कमांडो से घिरे अपने प्रधानमंत्री को  
 
हम दूरदराज बैठे कमांडो से घिरे अपने प्रधानमंत्री को  
 
 
भारी भरकम प्रतिनिधि मंडल के साथ  
 
भारी भरकम प्रतिनिधि मंडल के साथ  
 
 
विदेश यात्रा पर जाते देखते हैं  
 
विदेश यात्रा पर जाते देखते हैं  
 
 
प्रतिनिधि मंडल में वही लोग शामिल होते हैं  
 
प्रतिनिधि मंडल में वही लोग शामिल होते हैं  
 
 
जो प्रधानमंत्री से हाथ मिलाने में हो चुके होते हैं कामयाब  
 
जो प्रधानमंत्री से हाथ मिलाने में हो चुके होते हैं कामयाब  
 
 
हम अपने खाली हाथ अपनी जेबों में घुसेड़े  
 
हम अपने खाली हाथ अपनी जेबों में घुसेड़े  
 
 
कमांडो की तनी हुई पिस्टल को करते हुए याद  
 
कमांडो की तनी हुई पिस्टल को करते हुए याद  
 
 
प्रधानमंत्री को हवाई जहाज में चढ़ने से पहले  
 
प्रधानमंत्री को हवाई जहाज में चढ़ने से पहले  
 
 
मंत्रिमंडल के साथियों से फूल ग्रहण करते देखते हैं  
 
मंत्रिमंडल के साथियों से फूल ग्रहण करते देखते हैं  
 
 
 
  
 
प्रधानमंत्री एक एक कर सबसे मुस्कराते  
 
प्रधानमंत्री एक एक कर सबसे मुस्कराते  
 
 
किसी किसी से थोड़ी थोड़ी बात करते  
 
किसी किसी से थोड़ी थोड़ी बात करते  
 
 
फूल लेते जाते हुए हवाई जहाज पर चढ़ने के लिये  
 
फूल लेते जाते हुए हवाई जहाज पर चढ़ने के लिये  
 
 
लगी सीढ़ी तक बढ़ते जाते हैं  
 
लगी सीढ़ी तक बढ़ते जाते हैं  
 
 
प्रधानमंत्री को मिलते जा रहे फूलों को  
 
प्रधानमंत्री को मिलते जा रहे फूलों को  
 
 
प्रधानमंत्री के साथ साथ आगे बढ़ रहे  
 
प्रधानमंत्री के साथ साथ आगे बढ़ रहे  
 
 
कमांडो करते जाते हैं खुद के हवाले  
 
कमांडो करते जाते हैं खुद के हवाले  
 
 
    
 
    
 
 
विदेश यात्रा पर जाते प्रधानमंत्री को फूल देने वालों में  
 
विदेश यात्रा पर जाते प्रधानमंत्री को फूल देने वालों में  
 
 
मंत्रिमंडल में शामिल वह बुजुर्ग मंत्री भी होता है  
 
मंत्रिमंडल में शामिल वह बुजुर्ग मंत्री भी होता है  
 
 
जो प्रधानमंत्री को प्रधानमंत्री मानता ही नहीं  
 
जो प्रधानमंत्री को प्रधानमंत्री मानता ही नहीं  
 
 
जो सरकार में नम्बर दो या  
 
जो सरकार में नम्बर दो या  
 
 
अगला प्रधानमंत्री माना जाता है जो ठीक  
 
अगला प्रधानमंत्री माना जाता है जो ठीक  
 
 
प्रधानमंत्री के बगल वाले घर में रहता है  
 
प्रधानमंत्री के बगल वाले घर में रहता है  
 
 
और रोज सुबह सोकर उठते ही  
 
और रोज सुबह सोकर उठते ही  
 
 
प्रधानमंत्री के घर में पत्थर फेंकता है  
 
प्रधानमंत्री के घर में पत्थर फेंकता है  
 
 
और प्रधानमंत्री के वे कमांडो भी उससे  
 
और प्रधानमंत्री के वे कमांडो भी उससे  
 
 
कुछ नहीं कह पाते जो प्रधानमंत्री से हाथ मिलाने की  
 
कुछ नहीं कह पाते जो प्रधानमंत्री से हाथ मिलाने की  
 
 
कोशिश करने पर हमारी तरफ पिस्टल तान लेते हैं  
 
कोशिश करने पर हमारी तरफ पिस्टल तान लेते हैं  
 
 
प्रधानमंत्री न चाहते हुए भी उससे हंस कर  
 
प्रधानमंत्री न चाहते हुए भी उससे हंस कर  
 
 
फूल ग्रहण करते हैं , वह न चाहते हुए भी  
 
फूल ग्रहण करते हैं , वह न चाहते हुए भी  
 
 
प्रधानमंत्री को फूल भेंट करता है  
 
प्रधानमंत्री को फूल भेंट करता है  
 
 
प्रधानमंत्री अपने प्रति उसकी आंखों में  
 
प्रधानमंत्री अपने प्रति उसकी आंखों में  
 
 
तिरस्कार और उसके होठों पर  
 
तिरस्कार और उसके होठों पर  
 
 
कुटिल मुस्कान साफ देखते हुए भी  
 
कुटिल मुस्कान साफ देखते हुए भी  
 
 
उससे नहीं कह पाते कि जाइए नहीं लेने  
 
उससे नहीं कह पाते कि जाइए नहीं लेने  
 
 
मुझे आपसे फूल और सुनिए आगे से आप कभी  
 
मुझे आपसे फूल और सुनिए आगे से आप कभी  
 
 
इस मौके पर आना भी नहीं मुझे छोड़ने  
 
इस मौके पर आना भी नहीं मुझे छोड़ने  
 
 
कमांडो इनका चेहरा नहीं दिखना चाहिए मुझे  
 
कमांडो इनका चेहरा नहीं दिखना चाहिए मुझे  
 
 
आज के बाद , तुम्हें पता नहीं ये महाशय  
 
आज के बाद , तुम्हें पता नहीं ये महाशय  
 
 
मुझे हटा कर खुद प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं  
 
मुझे हटा कर खुद प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं  
 
 
    
 
    
 
 
प्रधानमंत्री के कमांडो प्रधानमंत्री और उसे फूल लेते देते  
 
प्रधानमंत्री के कमांडो प्रधानमंत्री और उसे फूल लेते देते  
 
 
देख कर बने रहते हैं सपाट , उसे लेकर  
 
देख कर बने रहते हैं सपाट , उसे लेकर  
 
 
प्रधानमंत्री की इच्छा को नहीं बनने देते वे अपनी इच्छा  
 
प्रधानमंत्री की इच्छा को नहीं बनने देते वे अपनी इच्छा  
 
 
मगर इस बात को याद कर  
 
मगर इस बात को याद कर  
 
 
पेशाबघर में पेशाब करते हुए वे मुस्कराते जरूर हैं।  
 
पेशाबघर में पेशाब करते हुए वे मुस्कराते जरूर हैं।  
 
 
    
 
    
 
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दूरदराज बैठे हम सोचते हैं हमारे प्रधानमंत्री
 
दूरदराज बैठे हम सोचते हैं हमारे प्रधानमंत्री
  
 
उन कमांडो से जिनसे वे हमेशा घिरे रहते हैं  
 
उन कमांडो से जिनसे वे हमेशा घिरे रहते हैं  
 
 
ठीक उसी तरह कभी हंसी मजाक करते हैं  
 
ठीक उसी तरह कभी हंसी मजाक करते हैं  
 
 
जैसे वे पत्राकारों से करते हैं  
 
जैसे वे पत्राकारों से करते हैं  
 
 
कभी हमने उन्हें किसी कमांडो से बात  
 
कभी हमने उन्हें किसी कमांडो से बात  
 
 
करते देखा तो नहीं चलो प्रधानमंत्री की छोड़ो  
 
करते देखा तो नहीं चलो प्रधानमंत्री की छोड़ो  
 
 
क्या कभी प्रधानमंत्री को खाली पाकर  
 
क्या कभी प्रधानमंत्री को खाली पाकर  
 
 
उन्हें चारों तरफ से घेर कर चलते कमांडो ही उनसे  
 
उन्हें चारों तरफ से घेर कर चलते कमांडो ही उनसे  
 
 
किसी बात पर बात करने की करते हैं कोशिश  
 
किसी बात पर बात करने की करते हैं कोशिश  
 
 
    
 
    
 
 
क्या प्रधानमंत्री किसी कमांडो के बीमार पड़ जाने पर  
 
क्या प्रधानमंत्री किसी कमांडो के बीमार पड़ जाने पर  
 
 
साथी कमांडो से उसका हाल पूछते हैं ,  
 
साथी कमांडो से उसका हाल पूछते हैं ,  
 
 
उसके लौटने पर उससे कहते हैं  
 
उसके लौटने पर उससे कहते हैं  
 
 
क्यों क्या हो गया था तुम्हें अब तो ठीक हो न ,  
 
क्यों क्या हो गया था तुम्हें अब तो ठीक हो न ,  
 
 
हम जैसे दफ्तर के बाबुओं के यहां  
 
हम जैसे दफ्तर के बाबुओं के यहां  
 
 
जैसे हमारे साहब चले आते हैं क्या प्रधानमंत्री भी  
 
जैसे हमारे साहब चले आते हैं क्या प्रधानमंत्री भी  
 
 
किसी कमांडो की बेटी की शादी में  
 
किसी कमांडो की बेटी की शादी में  
 
 
लिफाफा लेकर पहुंच जाते हैं  
 
लिफाफा लेकर पहुंच जाते हैं  
 
 
क्या कोई कमांडो भी इस तरह की इच्छा रखता है  
 
क्या कोई कमांडो भी इस तरह की इच्छा रखता है  
 
 
कभी प्रधानमंत्री अपने काफिले को रोक कर पूछें  
 
कभी प्रधानमंत्री अपने काफिले को रोक कर पूछें  
 
 
अरे रमेश तुम्हारा घर तो इसी सड़क पर है न  
 
अरे रमेश तुम्हारा घर तो इसी सड़क पर है न  
 
 
चलो आज तुम्हारे घर चल कर चाय पीते हैं  
 
चलो आज तुम्हारे घर चल कर चाय पीते हैं  
 
 
    
 
    
 
 
प्रधानमंत्री क्या उन सभी कमांडो  
 
प्रधानमंत्री क्या उन सभी कमांडो  
 
 
जो उन्हें हमेशा घेरे रहते हैं के नाम जानते हैं  
 
जो उन्हें हमेशा घेरे रहते हैं के नाम जानते हैं  
 
 
उन्हें पानी चाहिए होता है तो किसी  
 
उन्हें पानी चाहिए होता है तो किसी  
 
 
कमांडो की तरफ देख कर वे सिर्फ पानी कहते हैं  
 
कमांडो की तरफ देख कर वे सिर्फ पानी कहते हैं  
 
 
या रणवीर पानी तो लाओ कहते हैं  
 
या रणवीर पानी तो लाओ कहते हैं  
 
 
    
 
    
 
 
और तो और वे कमांडो प्रधानमंत्री के इर्द गिर्द  
 
और तो और वे कमांडो प्रधानमंत्री के इर्द गिर्द  
 
 
कहां कहां घेरा बनाये रहते हैं  
 
कहां कहां घेरा बनाये रहते हैं  
 
 
क्या उस जगह के बाहर दरवाजे पर भी  
 
क्या उस जगह के बाहर दरवाजे पर भी  
 
 
जिसमें हमारे बुजुर्ग प्रधानमंत्री के पायजामे की गांठ  
 
जिसमें हमारे बुजुर्ग प्रधानमंत्री के पायजामे की गांठ  
 
 
अक्सर देर तक खुलती नहीं है तब क्या  
 
अक्सर देर तक खुलती नहीं है तब क्या  
 
 
प्रधानमंत्री उसे खोलने उन्हीं में से  
 
प्रधानमंत्री उसे खोलने उन्हीं में से  
 
 
किसी एक को आवाज देकर बुलाते हैं  
 
किसी एक को आवाज देकर बुलाते हैं  
 
 
 
  
 
कमाल है कि अपने प्रधानमंत्री को तो हमने  
 
कमाल है कि अपने प्रधानमंत्री को तो हमने  
 
 
अक्सर ऊंघते , सोते, उबासी लेते देखा है  
 
अक्सर ऊंघते , सोते, उबासी लेते देखा है  
 
 
मगर प्रधानमंत्री को घेरे रहते कमांडो को हमने आज तक  
 
मगर प्रधानमंत्री को घेरे रहते कमांडो को हमने आज तक  
 
 
छींकते , खुजाते, नाक में उंगली मारते नहीं देखा  
 
छींकते , खुजाते, नाक में उंगली मारते नहीं देखा  
 
 
    
 
    
 
 
हम सोचते है हमारे प्रधानमंत्री कभी अपने कमांडो से  
 
हम सोचते है हमारे प्रधानमंत्री कभी अपने कमांडो से  
 
 
हमारे बारे में भी बात करते होंगे  
 
हमारे बारे में भी बात करते होंगे  
 
 
क्या वे कभी उनसे कहते होंगे जहां तक  
 
क्या वे कभी उनसे कहते होंगे जहां तक  
 
 
जनता पर तुम्हारे बंदूक तान लेने की बात है  
 
जनता पर तुम्हारे बंदूक तान लेने की बात है  
 
 
वो तो ठीक है मगर मेरा तुमसे अनुरोध है  
 
वो तो ठीक है मगर मेरा तुमसे अनुरोध है  
 
 
कभी उन पर गोली मत चला देना।
 
कभी उन पर गोली मत चला देना।
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10:18, 17 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

इस कदर बेमतलब रहना सिखाया जाता है उन्हें
कि प्रधानमंत्री को हमेशा घेरे में लिये रहते
उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होता
प्रधानमंत्री जनता से क्या कह रहे हैं
जिस वक्त प्रधानमंत्री बोले जा रहे होते हैं
कमांडो अपनी बिल्लौट निगाहों से लगातार
देख रहे होते हैं हमें इधर उधर

पेट से बाहर आने को व्यग्र वायु और
मुंह से बाहर छलांग मारने को बेताब हंसी
रोक पाना कितना कठिन होता है
यह कोई पदोड़ और हंसोड़ से पूछे
प्रधानमंत्री के सुनाये जिस चुटकुले पर जनता
मुंह फाड़ कर हंस रही होती है
उसे सुन कर कमांडो के चेहरे पर हंसी तो क्या
मुस्कान की हल्की सी लकीर भी नहीं उभरती
  
प्रधानमंत्री के पढ़े किसी शेर पर जब सब
दे रहे होते हैं दाद उनके होंठ कसे हुए होते हैं
प्रधानमंत्री की किसी घोषणा पर तालियों की
गड़गड़ाहट में शामिल होने
उनके हाथों की उंगलियां हिलती तक नहीं
वे हमें इतने निरपेक्ष दिखाई देते हैं कि हमें लगता है
वे कभी प्रधानमंत्री के आगे अपने भतीजे की
नौकरी की दरखास्त तक रखने की नहीं सोचते होंगे
हम अपने प्रधानमंत्री को हमेशा उन्हीं से घिरे
किसी परियोजना का शिलान्यास करते
किसी सेमीनार में दीप प्रज्ज्वलित करते या फिर
किसी पुल का उद्घाटन करते देखते हुए सोचते हैं
कमांडो के रहते हमारे प्रधानमंत्री की जान
सुरक्षित है एकदम , कि प्रधानमंत्री को हरदम
घेरे रहते वे कितने चुस्त दुरस्त ,
सजग , चौकस और आश्चर्यजनक फुर्तीले हैं

कमांडो से घिरे हमारे प्रधानमंत्री हमें देख कर
मुस्कराते हुए दूर से हाथ हिलाते हैं , हम भी
उन्हें अपनी तरफ हाथ हिलाते देख उनकी तरफ
जोर जोर से हिलाते हैं अपने हाथ , मगर जैसे ही
अपने प्रधानमंत्री से हम हाथ मिलाने की कोशिश करते हैं
कमांडो हम पर पिस्टल तान लेते हैं

हरदम प्रधानमंत्री को घेरे रहने वाले ओर
जरा सी बात पर हम पर गोली दाग देने के लिये तैयार
कमांडो से हमें डर लगता है , क्या हरदम
कमांडो से घिरे रहने वाले और हमारी तरह ही निहत्थे
प्रधानमंत्री को कभी उनसे डर नहीं लगता ?

2

हम दूरदराज बैठे कमांडो से घिरे अपने प्रधानमंत्री को
भारी भरकम प्रतिनिधि मंडल के साथ
विदेश यात्रा पर जाते देखते हैं
प्रतिनिधि मंडल में वही लोग शामिल होते हैं
जो प्रधानमंत्री से हाथ मिलाने में हो चुके होते हैं कामयाब
हम अपने खाली हाथ अपनी जेबों में घुसेड़े
कमांडो की तनी हुई पिस्टल को करते हुए याद
प्रधानमंत्री को हवाई जहाज में चढ़ने से पहले
मंत्रिमंडल के साथियों से फूल ग्रहण करते देखते हैं

प्रधानमंत्री एक एक कर सबसे मुस्कराते
किसी किसी से थोड़ी थोड़ी बात करते
फूल लेते जाते हुए हवाई जहाज पर चढ़ने के लिये
लगी सीढ़ी तक बढ़ते जाते हैं
प्रधानमंत्री को मिलते जा रहे फूलों को
प्रधानमंत्री के साथ साथ आगे बढ़ रहे
कमांडो करते जाते हैं खुद के हवाले
  
विदेश यात्रा पर जाते प्रधानमंत्री को फूल देने वालों में
मंत्रिमंडल में शामिल वह बुजुर्ग मंत्री भी होता है
जो प्रधानमंत्री को प्रधानमंत्री मानता ही नहीं
जो सरकार में नम्बर दो या
अगला प्रधानमंत्री माना जाता है जो ठीक
प्रधानमंत्री के बगल वाले घर में रहता है
और रोज सुबह सोकर उठते ही
प्रधानमंत्री के घर में पत्थर फेंकता है
और प्रधानमंत्री के वे कमांडो भी उससे
कुछ नहीं कह पाते जो प्रधानमंत्री से हाथ मिलाने की
कोशिश करने पर हमारी तरफ पिस्टल तान लेते हैं
प्रधानमंत्री न चाहते हुए भी उससे हंस कर
फूल ग्रहण करते हैं , वह न चाहते हुए भी
प्रधानमंत्री को फूल भेंट करता है
प्रधानमंत्री अपने प्रति उसकी आंखों में
तिरस्कार और उसके होठों पर
कुटिल मुस्कान साफ देखते हुए भी
उससे नहीं कह पाते कि जाइए नहीं लेने
मुझे आपसे फूल और सुनिए आगे से आप कभी
इस मौके पर आना भी नहीं मुझे छोड़ने
कमांडो इनका चेहरा नहीं दिखना चाहिए मुझे
आज के बाद , तुम्हें पता नहीं ये महाशय
मुझे हटा कर खुद प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं
  
प्रधानमंत्री के कमांडो प्रधानमंत्री और उसे फूल लेते देते
देख कर बने रहते हैं सपाट , उसे लेकर
प्रधानमंत्री की इच्छा को नहीं बनने देते वे अपनी इच्छा
मगर इस बात को याद कर
पेशाबघर में पेशाब करते हुए वे मुस्कराते जरूर हैं।
  
3

दूरदराज बैठे हम सोचते हैं हमारे प्रधानमंत्री

उन कमांडो से जिनसे वे हमेशा घिरे रहते हैं
ठीक उसी तरह कभी हंसी मजाक करते हैं
जैसे वे पत्राकारों से करते हैं
कभी हमने उन्हें किसी कमांडो से बात
करते देखा तो नहीं चलो प्रधानमंत्री की छोड़ो
क्या कभी प्रधानमंत्री को खाली पाकर
उन्हें चारों तरफ से घेर कर चलते कमांडो ही उनसे
किसी बात पर बात करने की करते हैं कोशिश
  
क्या प्रधानमंत्री किसी कमांडो के बीमार पड़ जाने पर
साथी कमांडो से उसका हाल पूछते हैं ,
उसके लौटने पर उससे कहते हैं
क्यों क्या हो गया था तुम्हें अब तो ठीक हो न ,
हम जैसे दफ्तर के बाबुओं के यहां
जैसे हमारे साहब चले आते हैं क्या प्रधानमंत्री भी
किसी कमांडो की बेटी की शादी में
लिफाफा लेकर पहुंच जाते हैं
क्या कोई कमांडो भी इस तरह की इच्छा रखता है
कभी प्रधानमंत्री अपने काफिले को रोक कर पूछें
अरे रमेश तुम्हारा घर तो इसी सड़क पर है न
चलो आज तुम्हारे घर चल कर चाय पीते हैं
  
प्रधानमंत्री क्या उन सभी कमांडो
जो उन्हें हमेशा घेरे रहते हैं के नाम जानते हैं
उन्हें पानी चाहिए होता है तो किसी
कमांडो की तरफ देख कर वे सिर्फ पानी कहते हैं
या रणवीर पानी तो लाओ कहते हैं
  
और तो और वे कमांडो प्रधानमंत्री के इर्द गिर्द
कहां कहां घेरा बनाये रहते हैं
क्या उस जगह के बाहर दरवाजे पर भी
जिसमें हमारे बुजुर्ग प्रधानमंत्री के पायजामे की गांठ
अक्सर देर तक खुलती नहीं है तब क्या
प्रधानमंत्री उसे खोलने उन्हीं में से
किसी एक को आवाज देकर बुलाते हैं

कमाल है कि अपने प्रधानमंत्री को तो हमने
अक्सर ऊंघते , सोते, उबासी लेते देखा है
मगर प्रधानमंत्री को घेरे रहते कमांडो को हमने आज तक
छींकते , खुजाते, नाक में उंगली मारते नहीं देखा
  
हम सोचते है हमारे प्रधानमंत्री कभी अपने कमांडो से
हमारे बारे में भी बात करते होंगे
क्या वे कभी उनसे कहते होंगे जहां तक
जनता पर तुम्हारे बंदूक तान लेने की बात है
वो तो ठीक है मगर मेरा तुमसे अनुरोध है
कभी उन पर गोली मत चला देना।