भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"खाली प्रेम / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |संग्रह=जब मैं स्त्री हूँ / रंजना …)
 
(कोई अंतर नहीं)

13:03, 20 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

सज-सँवर कर
तस्वीर में
बैठने के लिए नहीं है स्त्री

वह छटपटाती है
और बाहर निकल जाती है

मुँह ताकता रह जाता है
खाली फ़्रेम