भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आकांक्षा / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |संग्रह=मछलियाँ देखती हैं सपने / …) |
(कोई अंतर नहीं)
|
23:44, 23 जनवरी 2010 का अवतरण
स्त्री
निचोड़ देती है
बूँद
- बूँद रक्त
फिर भी
हरे नहीं होते
उसके सपने।