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"पिता-3 / भास्कर चौधुरी" के अवतरणों में अंतर
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क्यों
ईमानदार थे पिता
क्यों इतने भोले
कि दुनिया 'सीधे हैं - सीधे हैं' कहकर
पीठ पीछे करती रही उनकी बुराई
वे नहीं कर सके कोई ऊपरी कमाई
उन्होंने घूस नहीं दी
घूस ली नहीं कभी
हम कोस रहे हैं पिता को
अब जब हम स्वयं पिता हैं