भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पिता-3 / भास्कर चौधुरी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भास्कर चौधुरी |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> क्यों ईमानदार…)
(कोई अंतर नहीं)

21:22, 29 जनवरी 2010 का अवतरण

क्यों
ईमानदार थे पिता
क्यों इतने भोले
कि दुनिया 'सीधे हैं - सीधे हैं' कहकर
पीठ पीछे करती रही उनकी बुराई
वे नहीं कर सके कोई ऊपरी कमाई
उन्होंने घूस नहीं दी
घूस ली नहीं कभी

हम कोस रहे हैं पिता को
अब जब हम स्वयं पिता हैं