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− | ''पंजाब मैं औरतें दुपहर में मिलजुल बैठ हँसते, गाते, खेलते घर के काम किया करतीं हैं:-''
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− | पंजाबी लोकगीत
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− | -तिरंजन बैठियाँ नाराँ भला जी झुरमुट पाया ए,
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− | कूं कूं चर्खया,मैं लाल पूणी कतां के न?
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− | कत्त बीबी कत्त.
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− | दूर मेरे सवारे,दस वसां के न?
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− | वस बीबी वस.
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− | -पेक़े दी मेरी नवीं निशानी कूं कूं चरखा बोले,
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− | मुडडे कत कत रात बितायी भर लए पछियाँ गोले,
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− | अजे न कत्या सौ गज खद्दर हाय,
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− | जदों दा चरखा डाया ए,सस्स नूं तरस न आया ए.
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− | तिरंजन बैठियाँ नाराँ...
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− | -सरगी उठ मदानी रिड्कान, भरूं लस्सी दा छन्ना,
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− | ढोडा मक्खन ले के बेठुं जद आये मेरा चन्ना,
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− | बारी होले तक नी लाडो हो के तेरा गबरू आया ए.
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− | तिरंजन बैठियाँ नाराँ...
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− | -चक्की मुड पे आता पीवन दोनों नन्द जिठानी,
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− | सस्स मिस्ससां झिडकां दित्तियां कौन लिआवे पानी,
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− | चटक मटक के भाबो आई, सिरे ते मटका चाया ए.
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− | तिरंजन बैठियाँ नाराँ...
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− | -सौ हथ दी लज खुए दी खिच खिच बावाँ,
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− | भार पिंडे ते धौण डौल गई दूर पिंडे दियां रावां,
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− | दूरों किदरों फाती आये, सिरे ते मटका चाया ए.
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− | तिरंजन बैठियाँ नाराँ...
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− | -नो मन कनक लियांदी बारों ए लाले डे चाले,
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− | साफ़ करदेयाँ मन नहीं धाया, हथीं पे गये छाले.
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− | शाबा सानुं शाबा, असां कम्म करदेयां मन नहीं ढाया ए.
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− | तिरंजन बैठियाँ नाराँ...
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− | -असीं निषंग मलंग बेलिया असीं निषंग मलंग,
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− | सानु हसन खेडण भावे,
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− | कम्म काज की आखे सानु, मन दी मौज उड़ाइए,
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− | जदों दी मैं मज्ज वेच के घोड़ी लई,
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− | दद्ध पीना रह गया ते लिद्द चुकणी पई,
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− | रहे जागीर सलामत साडी हो के रब ने भाग लगाया ए,
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− | तिरंतन बैठिया नाराँ, भला जी झुरमुट पाया ए...
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