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"दिलीप चित्रे / परिचय" के अवतरणों में अंतर

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(नया पृष्ठ: मराठी के मशहूर कवि , लेखक , पेंटर और शिल्पकार दिलीप पुरुषोतम चित्र…)
 
 
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मराठी के मशहूर कवि , लेखक , पेंटर और शिल्पकार दिलीप पुरुषोतम चित्रे का पुणे में निधन हो गया . वे 70  साल के थे  . दिलीप चित्रे महाराष्ट्र के जाने माने संत और कवि तुकाराम के साहित्य का  इंग्लिश अनुवाद  में किये जाने के लिए ख़ास तौर से जाने जाते हैं. प्यार से  लोग उन्हें  दीपू के नाम से बुलाते थे .    वे पिछले कई साल से कैंसर  से पीड़ित  थे . दिलीप चित्रे ने 14  साल की ही उम्र  से  लिखना शुरू किया और 18  साल की उम्र में एक पत्रकार के रूप में  करिएर की    शुरुआत  की . महाराष्ट्र में  छोटे पत्रिका को लोकप्रिय  बनाने के आन्दोलन में  उन्होंने  अहम् योगदान दिया .    उन्होंने कुछ कवियों के साथ  मिलकर ' शब्द ' नाम से एक छोटी पत्रिका को मिलकर लांच किया . बाद में वे कुछ साल के लिए  विदेश  चले गए और  कुछ साल बाद  वहां  से लौटने पर  एक  विज्ञापन  कंपनी में काम करने लगे ..लेकिन साहित्य से उनका लगाव नहीं छुटा .  साल 1960  में उनका पहला मराठी कविता संग्रह ' कविता ' प्रकाशित हुआ . बाद में उन्होंने कई कविता संग्रह लिखी .साल 1994  में उन्हें साहित्य अकादमी पुरुस्कार से भी  नवाज़ा  गया .लेकिन संत तुकाराम के साहित्य का इंग्लिश में  अनुवाद करने के कारण वे पुरे  दुनियां  भर में मशहूर हो गए
 
मराठी के मशहूर कवि , लेखक , पेंटर और शिल्पकार दिलीप पुरुषोतम चित्रे का पुणे में निधन हो गया . वे 70  साल के थे  . दिलीप चित्रे महाराष्ट्र के जाने माने संत और कवि तुकाराम के साहित्य का  इंग्लिश अनुवाद  में किये जाने के लिए ख़ास तौर से जाने जाते हैं. प्यार से  लोग उन्हें  दीपू के नाम से बुलाते थे .    वे पिछले कई साल से कैंसर  से पीड़ित  थे . दिलीप चित्रे ने 14  साल की ही उम्र  से  लिखना शुरू किया और 18  साल की उम्र में एक पत्रकार के रूप में  करिएर की    शुरुआत  की . महाराष्ट्र में  छोटे पत्रिका को लोकप्रिय  बनाने के आन्दोलन में  उन्होंने  अहम् योगदान दिया .    उन्होंने कुछ कवियों के साथ  मिलकर ' शब्द ' नाम से एक छोटी पत्रिका को मिलकर लांच किया . बाद में वे कुछ साल के लिए  विदेश  चले गए और  कुछ साल बाद  वहां  से लौटने पर  एक  विज्ञापन  कंपनी में काम करने लगे ..लेकिन साहित्य से उनका लगाव नहीं छुटा .  साल 1960  में उनका पहला मराठी कविता संग्रह ' कविता ' प्रकाशित हुआ . बाद में उन्होंने कई कविता संग्रह लिखी .साल 1994  में उन्हें साहित्य अकादमी पुरुस्कार से भी  नवाज़ा  गया .लेकिन संत तुकाराम के साहित्य का इंग्लिश में  अनुवाद करने के कारण वे पुरे  दुनियां  भर में मशहूर हो गए

22:25, 3 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण

मराठी के मशहूर कवि , लेखक , पेंटर और शिल्पकार दिलीप पुरुषोतम चित्रे का पुणे में निधन हो गया . वे 70 साल के थे . दिलीप चित्रे महाराष्ट्र के जाने माने संत और कवि तुकाराम के साहित्य का इंग्लिश अनुवाद में किये जाने के लिए ख़ास तौर से जाने जाते हैं. प्यार से लोग उन्हें दीपू के नाम से बुलाते थे . वे पिछले कई साल से कैंसर से पीड़ित थे . दिलीप चित्रे ने 14 साल की ही उम्र से लिखना शुरू किया और 18 साल की उम्र में एक पत्रकार के रूप में करिएर की शुरुआत की . महाराष्ट्र में छोटे पत्रिका को लोकप्रिय बनाने के आन्दोलन में उन्होंने अहम् योगदान दिया . उन्होंने कुछ कवियों के साथ मिलकर ' शब्द ' नाम से एक छोटी पत्रिका को मिलकर लांच किया . बाद में वे कुछ साल के लिए विदेश चले गए और कुछ साल बाद वहां से लौटने पर एक विज्ञापन कंपनी में काम करने लगे ..लेकिन साहित्य से उनका लगाव नहीं छुटा . साल 1960 में उनका पहला मराठी कविता संग्रह ' कविता ' प्रकाशित हुआ . बाद में उन्होंने कई कविता संग्रह लिखी .साल 1994 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरुस्कार से भी नवाज़ा गया .लेकिन संत तुकाराम के साहित्य का इंग्लिश में अनुवाद करने के कारण वे पुरे दुनियां भर में मशहूर हो गए