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"यात्रा के बाद भी / ओम प्रभाकर" के अवतरणों में अंतर

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01:27, 4 फ़रवरी 2010 का अवतरण

यात्रा के बाद भी
पथ साथ रहते हैं।
हमारे साथ रहते हैं।

खेत खम्भे-तार
सहसा टूट जाते हैं,
हमारे साथ के सब लोग
हमसे छूट जाते हैं,

मगर
फिर भी
हमारी बाँह-गर्दन-पीठ को
छूते
गरम दो हाथ रहते हैं।