भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"शब्द-शब्द अनमोल परिंदे / रवीन्द्र प्रभात" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(ग़ज़ल)
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=रवीन्द्र प्रभात
 
|रचनाकार=रवीन्द्र प्रभात
 
}}
 
}}
{{KKCatKavita‎}}‎
+
{{KKCatGhazal‎}}‎
 
<poem>
 
<poem>
 
 
शब्द-शब्द अनमोल परिंदे !
 
शब्द-शब्द अनमोल परिंदे !
  

19:37, 4 फ़रवरी 2010 का अवतरण

शब्द-शब्द अनमोल परिंदे !

सुन्दर बोली बोल परिंदे !!


जीवन -जीवन भूलभुलैया -

दुनिया गोलम- गोल परिंदे !!


छोटा मुँह मत बात बड़ी कर -

खुल जायेगी पोल परिंदे !!


शीशे के घर में रहकर ना -

पत्थर -पत्थर तोल परिंदे !!


बन्दर के हाथों में मत दे -

झाल -मजीरा -ढोल परिंदे !!


कुछ मन की मर्यादा रख ले -

आंखों को मत घोल परिंदे !!


कुछ "प्रभात " के जैसा रच दे -

अंतर -पट अब खोल परिंदे !!