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♦ रचनाकार: अज्ञात
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लायिया ते तोड़ निभावीं,
चन्न वे,
छड के न जान्वीं,
बीबा छड के न जांवीं...
माही सहुकारा वे,
कुड़ी मैं गरीबाँ दी,
तेरे हथ डोर,
चन्ना मेरिया,
मेरे नसीबाँ दी,
लायिया ते तोड़ निभावीं...
चन्न वे,
छड के न जान्वीं बीबा,
छड के न जांवीं...
किसे किसे वेले चन्ना मेरेया,
जाण मेरी दरदी वे,
सुनया ऐ लगी होई,
तोड़ नइयों छडदी,
चन्न वे,
लायियाँ ते तोड़ निभावीं,
छड के न जान्वीं,
बीबा छड के न जान्वीं
इस ताज महल उत्ते एहियो सोहे,
जिंदगी चलाई ए तेरे नाम लई,
हाँ तेरे नाम लई,
लायियाँ ते तोड़ निभावीं,
चन्न वे,
छड के न जान्वीं,
बीबा छड के न जांवीं...