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"प्रेमगीत / अशोक वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर
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00:44, 8 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
मैं रास्ते पर झरे सफ़ेद फूल उठाता हूँ,
बेंच पर बैठे बूढ़ों को झगड़ते सुनता हूँ,
गोरी उन्नत-उरोजाओं को झपटकर जाते देखता हूँ,
नए फूलों की चकाचौंध निहारता हूँ,
ट्राम और कारों की भर्राहट के पार कुछ सुनता हूँ,
चर्च की घण्टियाँ सुनकर अपनी घड़ी में समय
मिलाता हूँ :
मैं इस तरह उसके लिए
अपना प्रेमगीत लिखता हूँ।
