भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"नावें / दिलीप शाक्य" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिलीप शाक्य |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> कितनी नमी थी इबा…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
02:00, 9 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
कितनी नमी थी इबारत में
पढ़ते ही
भीग गईं आँखें
आँखों में फैल गई
झील एक
चल निकलीं यादों की नावें
पानी में पाँव डाल
बैठा रहा समय
किनारे
शाम हुई खुल गईं
परिन्दों की पाँखें
नावों से उतरे मुसाफिर
दूर कहीं
खो गए