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"तुम्हारा नाम / कृष्णमोहन झा" के अवतरणों में अंतर
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02:12, 10 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
चाँद से मैंने गज भर सूत लिया
सूरज से आग्रह किया
कि वह किरण की एक सुई मुझे दे
समुद्र से कुछ मोती उधार लिए मैंने
समय से निवेदन किया कि वह थिर हो जाए
एक पल के लिए…
पृथ्वी की तमाम मज़बूरियों को बुहारकर रख दिया
एक तरफ़ मैंने
एक दिन
इस ज़िन्दगी की स्याह चादर पर
कुछ इस तरह पिरोया तुम्हारा नाम