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"अन्तर्विरोध / कृष्णमोहन झा" के अवतरणों में अंतर

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02:33, 10 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण

अपने इस छोटे से जीवन में
इतने प्रतिभाशाली इतने योग्य इतने सच्चे लोगों को
सड़क पर धूल फाँकते
और दर-ब-दर भटकते देखा है

और दूसरी तरफ
इतने लिजलिजे इतने धूर्त ऐसे फिसड्डियों को
सफलता के मंच पर मटकते देखा है
कि लगता है
हमारे समय में विफलता ही
योग्यता की सबसे बड़ी कसौटी है