भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"शक के पहरे हल्के पड़े / कात्यायनी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कात्यायनी |संग्रह=जादू नहीं कविता / कात्यायनी }} …)
(कोई अंतर नहीं)

00:42, 16 फ़रवरी 2010 का अवतरण

शक के पहरे हल्के पड़े
और वफ़ादार हो गई स्त्री
प्यार का स्वाद भूलते हुए
प्यार नमक नहीं हो पाया था
उसके लिए
न लड़ना ही
जीने की ज़रूरी ख़ुराक।

रचनाकाल : जून 1993