भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जीवन तुझे समर्पित किया / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
  
 
जीवन तुझे समर्पित किया
 
जीवन तुझे समर्पित किया
 +
 
जो कुछ-भी लाया था तेरे चरणों पर धर दिया
 
जो कुछ-भी लाया था तेरे चरणों पर धर दिया
  
  
 
पग-पग पर फूलों का डेरा
 
पग-पग पर फूलों का डेरा
घेरे था रंगों का घेरा
+
 
 +
घेरे था रंगों का घेरा
 +
 
 
पर मैं तो केवल बस तेरा-
 
पर मैं तो केवल बस तेरा-
                      तेरा होकर जिया
+
 
 +
तेरा होकर जिया
  
  
 
सिर पर बोझ लिये भी दुर्वह
 
सिर पर बोझ लिये भी दुर्वह
मैं चलता ही आया अहरह
+
 
 +
मैं चलता ही आया अहरह
 +
 
 
मिला गरल भी तुझसे तो वह
 
मिला गरल भी तुझसे तो वह
                  अमृत मान कर पिया
 
  
 +
अमृत मान कर पिया
 +
 +
 +
जग ने रत्नकोष है लूटा
 +
 +
मिला तँबूरा मुझको टूटा
  
जग  ने  रत्नकोष  है  लूटा
 
मिला  तँबूरा  मुझको  टूटा
 
 
उस पर ही, जब भी स्वर फूटा
 
उस पर ही, जब भी स्वर फूटा
                    मैंने कुछ गा लिया  
+
 
 +
मैंने कुछ गा लिया  
  
  
 
जीवन तुझे समर्पित किया
 
जीवन तुझे समर्पित किया
 +
 
जो कुछ भी लाया था तेरे चरणों पर धर दिया
 
जो कुछ भी लाया था तेरे चरणों पर धर दिया

10:48, 13 जनवरी 2007 का अवतरण

कवि: गुलाब खंडेलवाल

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~

जीवन तुझे समर्पित किया

जो कुछ-भी लाया था तेरे चरणों पर धर दिया


पग-पग पर फूलों का डेरा

घेरे था रंगों का घेरा

पर मैं तो केवल बस तेरा-

तेरा होकर जिया


सिर पर बोझ लिये भी दुर्वह

मैं चलता ही आया अहरह

मिला गरल भी तुझसे तो वह

अमृत मान कर पिया


जग ने रत्नकोष है लूटा

मिला तँबूरा मुझको टूटा

उस पर ही, जब भी स्वर फूटा

मैंने कुछ गा लिया


जीवन तुझे समर्पित किया

जो कुछ भी लाया था तेरे चरणों पर धर दिया