भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ठूँठ खड़ा है / कात्यायनी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कात्यायनी |संग्रह=फुटपाथ पर कुर्सी / कात्यायनी }…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
21:58, 16 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
असम्पृक्त, एकाकी, अड़ियल
तना खड़ा है ठूँठ।
किसी ऊँट के कूबड़ जैसा
गुट्ठल-भोंथर।
जैसे कोई जीवन
सूखा-निर्मम-थेंथर।
धरती में धँस गई
कटारी जैसे कोई,
लेकिन ऊपर
अड़ी हुई है मूँठ।
रचनाकाल : जनवरी-अप्रैल, 2003