भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बुरा वक़्त / दिनेश डेका" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=दिनेश डेका |संग्रह=मेरे प्रेम और विद्रोह की …) |
(कोई अंतर नहीं)
|
02:35, 17 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
|
एक-एक कर ढह जाती हैं मेरे नए घर की दीवारें
किरानी की उम्र भर की कमाई, शिल्पी का कलात्मक घर
खुली हवा का विषदन्त लगने से गिरता है सान्दै का घर
भीतर लखीन्दर का साँप-डसा शरीर
भविष्य के आआख़िरी किले का भी पतन। कहाँ रखूँगा अभी से ही
अनुज का जीवन, अनुज का चिन्तन
जीवन-भर
सतरंगे सपनों के इन्द्रधनुष रचनेवाली
नारी जीवन की पहली सुबह में ही
थकी बेउला पोर-पोर
केले की नाव पर बहती है
साथ लेकर पति का नीला शरीर।
मूल असमिया से अनुवाद : दिनकर कुमार