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"ग़लत कहानी नहीं चलेगी / उदयप्रताप सिंह" के अवतरणों में अंतर
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घमण्डी वक़्तों के बादशाहों बदलते मौसम की नब्ज़ देखो | घमण्डी वक़्तों के बादशाहों बदलते मौसम की नब्ज़ देखो |
10:06, 18 फ़रवरी 2010 का अवतरण
अभी समय है सुधार कर लो ये आनाकानी नहीं चलेगी
सही की नक़ली मुहर लगाकर ग़लत कहानी नहीं चलेगी
घमण्डी वक़्तों के बादशाहों बदलते मौसम की नब्ज़ देखो
महज़ तुम्हारे इशारों पे अब हवा सुहानी नहीं चलेगी
किसी की धरती, किसी की खेती, किसी की मेहनत, फ़सल किसी की
जो बाबा आदम से चल रही थी, वो बेईमानी नहीं चलेगी
समय की जलती शिला के ऊपर उभर रही है नई इबारत
सितम की छाँहों में सिर झुकाकर कभी जवानी नहीं चलेगी
चमन के काँटों की बदतमीज़ी का हाल ये है कि कुछ न पूछो
हमारी मानो तुम्हारे ढँग से ये बाग़बानी नहीं चलेगी
‘उदय’ हुआ है नया सवेरा मिला सको तो नज़र मिलाओ
वो चोर-खिड़की से घुसने वाली प्रथा पुरानी नहीं चलेगी