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गंगा जमुना / इन्साफ की डगर पर
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17:02, 22 फ़रवरी 2010
दुनियाँ के रंज सहना और कुछ ना मुँह से कहना
सच्चाईयों के बल पे, आगे को बढ़ते रहना
रख दोगे एक दिन तुम, संसार को
बदलके
बदल के
अपने हो या पराए, सब के लिए हो न्याय
Sandeep Sethi
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