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"असमानों उत्तरी इल्ल वे (ढोला) / पंजाबी" के अवतरणों में अंतर

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असमानों उत्तरी इल्ल वे
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तेरा केहड़ी कुड़ी उत्ते दिल वे
 
तेरा केहड़ी कुड़ी उत्ते दिल वे

14:27, 23 फ़रवरी 2010 का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात
  • असमानों उत्तरी इल्ल वे

तेरा केहड़ी कुड़ी उत्ते दिल वे

सभ्भे ने कुआरियाँ

जीवें ढोला !

ढोल मक्खना !

दिल परदेसियाँ दा राज़ी रखना !


भावार्थ


--'आकाश से चील उतरी

अरे तुम्हारा किस युवती पर दिल है ?

सभी कुंवारी हैं

जीते रहो, ढोला !

ओ ढोल ! ओ मक्खन !

परदेशियों का दिल राज़ी रखना !'