भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मैं और मेरा ख़ुदा / मुनीर नियाज़ी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुनीर नियाज़ी }} Category:ग़ज़ल <poem>लाखों शक्लों के म...) |
Sandeep Sethi (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
}} | }} | ||
[[Category:ग़ज़ल]] | [[Category:ग़ज़ल]] | ||
− | <poem>लाखों शक्लों के मेले में | + | <poem> |
+ | लाखों शक्लों के मेले में तनहा रहना मेरा काम| | ||
भेस बदल कर देखते रहना तेज़ हवाओं का कोहराम| | भेस बदल कर देखते रहना तेज़ हवाओं का कोहराम| | ||
− | एक तरफ़ आवाज़ का सूरज एक तरफ़ इक | + | एक तरफ़ आवाज़ का सूरज एक तरफ़ इक गूँगी शाम, |
एक तरफ़ जिस्मों की ख़ुश्बू एक तरफ़ इस का अन्जाम| | एक तरफ़ जिस्मों की ख़ुश्बू एक तरफ़ इस का अन्जाम| | ||
10:04, 25 फ़रवरी 2010 का अवतरण
लाखों शक्लों के मेले में तनहा रहना मेरा काम|
भेस बदल कर देखते रहना तेज़ हवाओं का कोहराम|
एक तरफ़ आवाज़ का सूरज एक तरफ़ इक गूँगी शाम,
एक तरफ़ जिस्मों की ख़ुश्बू एक तरफ़ इस का अन्जाम|
बन गया क़ातिल मेरे लिये तो अपनी ही नज़रों का दाम,
सब से बड़ा है नाम ख़ुदा का उस के बाद है मेरा नाम|
[शक्ल = चेहरा; तन्हा = अकेला; कोहरम = शोर शराबा]
[अन्जाम = अंत; क़ातिल = मारने वाला; दाम = कीमत]