भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"असमानों उत्तरी इल्ल वे (ढोला) / पंजाबी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
|भाषा=पंजाबी
 
|भाषा=पंजाबी
 
}}
 
}}
* असमानों उत्तरी इल्ल वे
+
<poem>* असमानों उत्तरी इल्ल वे
 
तेरा केहड़ी कुड़ी उत्ते दिल वे
 
तेरा केहड़ी कुड़ी उत्ते दिल वे
 
सभ्भे ने कुआरियाँ, जीवें ढोला !
 
सभ्भे ने कुआरियाँ, जीवें ढोला !
पंक्ति 20: पंक्ति 20:
 
ओ सजना ! ओ मक्खन !
 
ओ सजना ! ओ मक्खन !
 
परदेसीओं का दिल राज़ी रखना !'
 
परदेसीओं का दिल राज़ी रखना !'
 +
</poem>

04:21, 26 फ़रवरी 2010 का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात
  • असमानों उत्तरी इल्ल वे

तेरा केहड़ी कुड़ी उत्ते दिल वे
सभ्भे ने कुआरियाँ, जीवें ढोला !
ढोल मक्खना !
दिल परदेसियाँ दा राज़ी रखना !

भावार्थ

--'आकाश से चील उतरी
अरे तुम्हारा किस युवती पर दिल है ?
सभी कुंवारी हैं
जीते रहो, सजन !
ओ सजना ! ओ मक्खन !
परदेसीओं का दिल राज़ी रखना !'