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"जग्गा जमया ते मिलन वधाईयां / पंजाबी" के अवतरणों में अंतर
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+ | जग्गा जमया ते मिलन वधाईयां, | ||
+ | के वड्डे हो के डाके मारदा, जग्गया -2 | ||
+ | के तुर परदेस गयों वे बूहा वज्जया, | ||
− | + | जग्गा, जमया ते मिलन वधाईयां | |
+ | के सारे पिंड गुड वण्डया, जग्गया, | ||
+ | के तुर परदेस गयों वे बूहा वज्जया, | ||
− | + | जे मैं जाणदी जग्गे मर जाणा, | |
− | + | मैं इक थाईं दो जम्मदी, जगया | |
− | + | के टुट्टी होई माँ दे कलेजे छुरा वज्जया | |
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− | के टुट्टी होई माँ दे कलेजे छुरा | + | |
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+ | जग्गे जिन्दे नू सूली उत्ते टंगया, | ||
+ | ते भैण दा सुहाग चुमके, मखना, | ||
के क्यों तुर चले गयों बेडा चखना, | के क्यों तुर चले गयों बेडा चखना, | ||
− | + | जग्गा मारया बोड़ दी छांवे, | |
− | + | के नौ मण रेत भिज गयी,पूरना | |
− | के नौ मण रेत भिज गयी, | + | |
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के माँ दा मार दित्ताइ पुत्त सूरमा, | के माँ दा मार दित्ताइ पुत्त सूरमा, | ||
− | + | जग्गा, जमया ते मिलन वधाईयां<poem> | |
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05:12, 26 फ़रवरी 2010 का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
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जग्गा जमया ते मिलन वधाईयां,
के वड्डे हो के डाके मारदा, जग्गया -2
के तुर परदेस गयों वे बूहा वज्जया,
जग्गा, जमया ते मिलन वधाईयां
के सारे पिंड गुड वण्डया, जग्गया,
के तुर परदेस गयों वे बूहा वज्जया,
जे मैं जाणदी जग्गे मर जाणा,
मैं इक थाईं दो जम्मदी, जगया
के टुट्टी होई माँ दे कलेजे छुरा वज्जया
जग्गे जिन्दे नू सूली उत्ते टंगया,
ते भैण दा सुहाग चुमके, मखना,
के क्यों तुर चले गयों बेडा चखना,
जग्गा मारया बोड़ दी छांवे,
के नौ मण रेत भिज गयी,पूरना
के माँ दा मार दित्ताइ पुत्त सूरमा,